कितना शकुन मिलता है साकी तेरे महखाने में
दिल बयाँ करता है दर्द ए मुहोब्बत इस जमाने में
पिला दे मुहोब्बत का जाम दिल भर के
फिर देख मेरी दर्द ए मुहोब्बत पैमाने में
जाम ए इश्क का भर-भर के दे मुझको
दर्द ए दिल अभी खाली है भर जाने में
अभी किस्सा लम्बा है साकी
वक्त लगेगा इसे बयाँ करने में
रात बाकी है अभी बात बाकी है
बाकी है अभी कशक ए मुहोब्बत अफ़साने में
रंग ए मुहोब्बत बदलते देखा ए साकी
भूल कर बैठे थे बेपन्हा मुहोब्बत करने में
नही मालूम था अंजाम ऐसा होगा
वरना कदम नही रखते इस दगा खाने में
ए खुदा करदे फैसला आज जिंदगी का
बहुत सितम सह लिया तेरे इस सितमखाने में
Monday, 27 April 2015
कितना शकुन मिलता है
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क्या अदा है आपकी
ReplyDeleteअपना हुनर लिखकर बताने में....
लिखकर चंद शब्द ..शब्द जाल
में हमे भटकाने में
कुछ समय लगा लेते अगर
प्यार मुहब्बत जताने में
तो जरुरत नहीं पड़ती
यु छुप छुप के अकेले गजल गाने में