मैं तेरी यादों का दर्पण हूँ बस देखते जाना
जिस्म को छू कर तो हवा भी जाती है
तू बस मेरी रूह को छू कर चली जाना
आंखों ही आंखों में अब तलक शब गुजरी हैं
तू बस एक हंसी ख्वाब बनकर गुजर जाना
मुहोब्बत के दरिया में साहिल नही ढूंढते
तू बस इस इश्क के 'सागर' में डूबते जाना