Saturday 25 July 2020

वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें

बता जिंदगी कैसे गुजर गए दिन और रातें
वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें
मां की लोरी और पिता की डांट भी है
दादी की गोदी और दादा का कन्धा भी है
बहन का प्यार और भाई का साथ भी है
जहन में दूर छुपी हैं कई पुरानी मुलाकातें
वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें

नानी की वो चिड़ियों की मधुर कहानी भी है
बचपन के दोस्तों के साथ खेलना-कूदना भी है
उन्ही से लड़ना और फिर से मिलना भी है
यादों में है वो चन्दा मामा और चांदनी रातें
वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें

बचपन में स्कूल की वो पुरानी तस्वीर भी है
वो पेड़ वो झूले वो झर-झर करते झरने भी हैं
कागज की वो पानी मे तैरती कस्ती भी है
याद है वो लम्हे जो खुशी-खुशी गुजर जाते
वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें

आज कंधो पर लदा जिमेदारी का बोझ भी है
जिसे लेकर चलना,गिरना और उठना भी है
वक्त को देखना और वक्त के साथ चलना भी है
बस ये ही विचार जहन में घर कर जाते
वक्त की सिलवटों में छुपी हैं कई बातें







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