sagar kaswan's poetry
Friday 15 May 2020
कोरी कल्पना
ये आज का भगवान है कुछ भी बना सकता है।
हिमालय को भी तोड़कर नया बना सकता है
जुबान का एक चालाक बाजीगर है ये आदमी
जुबान से धरती पर आसमान बना सकता है
कलाकार हैं ये आज की तमाशाइयों की भीड़ में
आज तो ये आसमान में बुलेट ट्रेन चला सकता है
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