आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
जो हुआ एक भूल थी बस,ये समझ के भुला दें
रिश्तों में लगी है जो आग,उस आग को बुझा दें
टूटी हुई माला के मोतियों को फिर से सजाएं
आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
जो गिर गया है जमीं पर,उसे अपना समझ के उठा लें
जो छूट गया है पीछे कहीं,उसे अपने साथ मिला लें
एक-दूसरे के लिए फिर से मदद के हाथ बढ़ाएं
आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
जो भी खोया वो अपना था,किसी और का नही
जो आंसू गिरा वो अपना था,किसी गैर का नही
बना लें मन ऐसा कि किसी के आंसू पोंछ पाएं
आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
रहना है सभी को इसी धरती पर हमेशा के लिए
तो फिर क्यों हम ईर्ष्या-द्वेष के विष का घूंट पिएँ?
भुला कर आपसी रंजिश,फिर से भाईचारा अपनाएं
आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
राजनितिक षड्यंत्रकारियों को करारा जवाब दें
इंसानियत के दुश्मनों को हमेशा के लिए हरा दें
छोड़कर संकीर्णताओं को एक नया भविष्य बनाएं
आओ फिर से दीया जलाएं
नफरत का अँधेरा दूर भगाएं
Thursday 25 February 2016
आओ फिर से दीया जलाएं
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