Monday 24 August 2015

कभी था मै अजनबी

कभी था मै अजनबी,अब मीत हूँ तुम्हारा
कभी थी मेरी नाउम्मीदी,अब गीत हूँ तुम्हारा
था घुमा मै गली-गली
सूरत जो देखी भली-भली
था फरेबी वो चेहरा हँसी
अब भेद खुल गया सारा
कभी था मै अजनबी,अब मीत हूँ तुम्हारा
कभी थी मेरी नाउम्मीदी,अब गीत हूँ तुम्हारा
था चाँद भी दीवाना
लगा बड़ा ही वीराना
दाग ने बताया के
उसे चांदनी ने मारा
कभी था मै अजनबी,अब मीत हूँ तुम्हारा
कभी थी मेरी नाउम्मीदी,अब गीत हूँ तुम्हारा
था फूलों ने चिढ़ाया
कलियों ने बहलाया
जब गुजरा वहाँ से
तो भँवरे से हारा
कभी था मै अजनबी,अब मीत हूँ तुम्हारा
कभी थी मेरी नाउम्मीदी,अब गीत हूँ तुम्हारा

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