sagar kaswan's poetry
Saturday, 25 November 2023
चाँद और सुरंग
बेशक रहते हों गहरे सागर किनारे पर आप
पर घर मे लगी आग भी आप बुझा न पाए
उस चाँद पर पहुंचने का भी क्या फायदा , साहेब ?
जब उस सुरंग में मजदूरों तक भी नही पहुंच पाए
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